क्या बात है..! बॉलीवूड का ये पुराना एकटर कभी पैसे ना होणे की वजह से रेल्वे- स्टेशन पर सोता था, आज बन चुका है करोडपती..
हमारे बॉलीवुड में भले ही एक से एक बढ़कर अभिनेता रहते हो, लेकिन बॉलीवुड के कुछ ऐसे बेहतरीन अभिनेता है कि जब भी उनके बारे में कोई सोचता है तो देश के एक प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर का नाम सबके दिमाग में सबसे पहले आता है। अनुपम खेर की बात करे तो वो देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी बेहतरीन एक्टिंग को लेकर जाने जाते हैं। अनुपम खेर ने सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि हॉलीवुड की भी कई सारी फिल्मों में भी काम किया है। अनुपम खेर अब तक के 500 से भी ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं।
अनुपम खेर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला में हुआ था। उनके पिता एक वन विभाग में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे। खेर ने अपने जीवन में सिर्फ 9वीं की कक्षा से ही अभिनय करने के प्रति अपने जुनून को खोजकर निकाला । अपनी स्कूली शिक्षा को पूरा करने के बाद में खेर ने अर्थशास्त्र की भी पढ़ाई को करना सुरू कर दिया।

लेकिन, इन सबके लिए उन्होंने अपनी पंजाब विश्वविद्यालय में भारतीय रंगमंच का अध्ययन को करना छोड़ ही दिया। 1978 में, उन्होंने नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक भी किया था। जब वे मुंबई आ गए थे तो खेर के पास बिल्कुल भी पास पैसे नहीं थे। पैसो को कमाने के लिए उन्होंने फिर उसके बाद से एक पर एक ऑडिशन को देंना और नाटकों में प्रदर्शन करते हुए भी वहां पढ़ाया।
एक समय था जब खेर के पास कोई काम, पैसा या मदद करने के लिए भी कोई नहीं था। वह समुद्र के तटों पर रहता था और यहां तक कि प्लेटफार्मों पर सोया करता था। उसने लगभग ही हार मान ही ली थी और घर जाने का भी फैसला कर ही लिया था। लेकिन, उनकी दृढ़ता और सफल होने के दृढ़ संकल्प ने उन्हें अपनी पहली फिल्म महेश भट्ट के सारांश से हासिल करने में मदद की थी।

हालांकि, सारे निर्माताओं ने भी उन्हें ये बात बतायी कि उनकी जगह भी किसी और ने ले ली है। खेर ने इस बात के लिए महेश भट्ट को भी फोन किया था और उनसे ये कहा कि उनसे बेहतर भी इस भूमिका को कोई और नहीं निभाएगा। भट्ट ने ये देखा कि खेर जिस जोश के साथ इस अभिनय को करना चाहते थे इसके बाद उन्होंने उन्हें वापस लेने का फैसला भी कर लिया था।
बहुत कम के उम्र में ही और अपने बालो के झड़ने के कारण भी, खेर ने 1984 में मात्र 29 वर्ष की आयु में ही 65 वर्षीय व्यक्ति की भूमिका को निभाना पड़ा था। फिल्म में खेर के इस प्रदर्शन ने ही उनकी खूब ज्यादा प्रसंसा की, और उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए भी फिल्मफेयर पुरस्कार सहित कई सारे ही पुरस्कार को जीत लिया।
1989 में, उन्हें डैडी में उनकी भूमिका के लिए एक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर क्रिटिक्स के अवार्ड से सम्मानित किया गया। उसी वर्ष,में ही उन्होंने राम लखन में भी अभिनय किया था, जो वर्ष की उनकी दूसरी सबसे अधिक कमाई को करने वाली बॉलीवुड फिल्म में बन गई थी। खेर को इस फिल्म में उनकी भूमिका के लिए भी आलोचनात्मक प्रशंसाये भी काफी ज्यादा मिली थी, और कई लोगों ने तो इसे उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तक भी बताया था।
सबक हम सीख सकते हैं-
अनुपम खेर जब बंबई में पहुंचे थे तो उनके पास में कुछ भी नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में कड़ी से कड़ी मेहनत को किया और दृढ़ संकल्प के साथ में, उन्होंने अपने सफलता के मार्ग को प्रशस्त भी किया था। हम जानते है कि सफलता का कभी भी कोई शॉर्टक नहीं होता है। इसे हमे प्राप्त करने के लिए भी कड़ी से कड़ी मेहनत को एकमात्र कुंजी के साथ करना होता है; यह हमें अनुशासन, समर्पण और दृढ़ संकल्प भी सिखाता है। आप अपने सपने पर जितनी मेहनत करेंगे, आप उतने ही ज्यादा अपने सपने के प्रति आत्मविश्वासी बनेंगे।